आगे है नायाग्रा फाल ,
अब क्या होगा इनका हाल !
वो देखो बर्फ का पहाड़ ,
क्या काम आएगा ये जुगाड़ !
हवा में जब कंपनी मिल गई ,
अपनी तो हवा ही निकल गई !
हिंदी चीनी तो भाई भाई ,
पर अंग्रेज़ की शामत है आई !
तलवारों की धार है तेज ,
अब तेरा क्या होगा अंग्रेज़ !
समझे थे जंगल को हमाम ,
फिर भला कपड़ों का क्या काम !
अबे अब काहे को उछलता है ,
यहाँ कानून बस हमारा चलता है !
ज़रा बताइये --सबसे ज्यादा खतरनाक कौन सा लगा .
और सबसे फन्नी कौन सा !
उपर के तीन खतरनाक……… बीच वाला हौलनाक ………… आखरी वाला बेनाक……………:)
जवाब देंहटाएंडॉ दराल
जवाब देंहटाएंहमारी वाणी की फीड से यहाँ आयी थी वहाँ तस्वीर नहीं दिखती हैं , जो दिख रहा था उसको पढ़कर एक और ब्लॉगर की याद आगयी तुकांत कवि हैं वो , सोचा देख लूँ आप को क्या हुआ हैं !!!!! ख़ैर तस्वीर के साथ पढने से रुख बदल गया
तस्वीर के साथ तुकबंदी बढ़िया लगी
शुक्रिया , रचना जी . यह पोस्ट बस मौज मस्ती के लिए है .
जवाब देंहटाएंall work and no play , makes Jack a dull boy !
शेर बहुत शैतान लगा...मजेदार चित्र...
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत सुन्दर प्रस्तुति| नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंमैं तो आखिरी वाली तस्वीर देखकर हैरान हूं। ये नंगू अमिताभ की शैली में बायें हाथ से खूंखारों को खदेड़ रहा है और जानवर भी हैं कि जान बचाकर भागे जा रहे हैं!
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! नंग इंसान से जानवर भी डरते हैं .
जवाब देंहटाएं:D :D
जवाब देंहटाएंओह ! अब इसका मतलब कौन बताएगा !
हटाएंहमको तो सारे के सारे दमदार लगे।
जवाब देंहटाएंसमझे थे जंगल को हमाम ,
जवाब देंहटाएंफिर भला कपड़ों का क्या काम !
आगे क्या होता हाल ,
सब फटोग्रेफी का है कमाल .
लोगों को नियाग्रा से लटका भी दिखा देतें हैं ,यहाँ फटोग्रेफर साहब .
सही कहा वीरुभाई जी .
जवाब देंहटाएंफोटोग्राफर भी कवि की तरह कल्पना का इस्तेमाल ज्यादा करता है .
SABHI MAJEDAR HAIN .very nice post .thanks
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