विपरीत परिस्थितियों में मूढ़ ठीक करने के लिए तस्वीरों से ज्यादा बेहतर भला क्या हो सकता है । तस्वीरें भी यदि प्रकृति की हों तो क्या कहने ।
प्रस्तुत हैं मेरी पसंद की अप्रकाशित तस्वीरें , पिछली कनाडा यात्रा से ।
शाम के धुंधलके में झील का नज़ारा ।
नदी के ऊपर यह प्लेटफार्म ।
एक और शाम ।
नदिया के प़ार ।
जंगल में ।
पूर्ण शांति ।
जिस गाँव की सड़कें ऐसी हों , वहां जिंदगी कैसी होगी !
यहाँ ड्राइव करने का मज़ा ही कुछ और है ।
पंछी की परवाज़ ।
नीले आसमान पर सफ़ेद बादलों की छटा ही निराली है ।
सूरज झाँकने की कोशिश करता हुआ ।
एक प्राकृतिक सौन्दर्य ।
एक फ्रेंच स्टाइल का मकान ।
मंगलवार, 7 दिसंबर 2010
सोमवार, 25 अक्तूबर 2010
दिल्ली का इन्द्रप्रस्थ पार्क --एक नज़र .
दिल्ली में यमुना के किनारे , रिंग रोड पर बने इन्द्रप्रस्थ पार्क में बना है , शांति स्तूप --सफ़ेद संगमरमर में ।
पार्क में घुसते ही ये खाने पीने की दुकाने हैं । प्रष्ठ भूमि में शांति स्तूप ।
वहां जाने के लिए इस गेट से होकर जाना पड़ता है ।
एक एंगल से ।
यह चोटी शहर में पहाड़ का अहसास देती हुई ।
यहाँ एक छोटा सा जंगल भी है --एकदम घना ।
रास्ता बना है स्तूप तक जाने के लिए ।
साथ में रेलवे लाइन ।
सचमुच दिल्ली बहुत हरी भरी है ।
पार्क में घुसते ही ये खाने पीने की दुकाने हैं । प्रष्ठ भूमि में शांति स्तूप ।
वहां जाने के लिए इस गेट से होकर जाना पड़ता है ।
एक एंगल से ।
यह चोटी शहर में पहाड़ का अहसास देती हुई ।
यहाँ एक छोटा सा जंगल भी है --एकदम घना ।
रास्ता बना है स्तूप तक जाने के लिए ।
साथ में रेलवे लाइन ।
सचमुच दिल्ली बहुत हरी भरी है ।
शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010
दिल्ली में बाढ़ का नज़ारा ---
हमारी याद में दिल्ली में १९७८ में बाढ़ आई थी । तब यातायात का कोई साधन न होने की वज़ह से हम चाहते हुए भी बाढ़ का नज़ारा देख नहीं पाए थे । लेकिन इस बार आई बाढ़ से तो बच ही नहीं सकते थे । क्योंकि रोज वहां से गुजरना होता है ।
तो आइये आपको भी दिखाते हैं दिल्ली में बाढ़ का नज़ारा ।
यह बिहार , असम या उत्तर प्रदेश का दृश्य नहीं है । बल्कि यह यमुना का नज़ारा है , दिल्ली के मयूर विहार क्षेत्र के सामने , नोयडा रोड से ।
मजदूरों के बच्चों के लिए प्राकृतिक तरण ताल ।
ज़रा पास से देखें तो ये बच्चे घरों की छत पर खड़े हैं जो पानी में लगभग डूब चुके हैं ।
पृष्ठ भूमि में दिखाई दे रहा है कॉमन वेल्थ गेम्स विलेज ।
और यहाँ अक्षरधाम मंदिर ।
यह दृश्य हाइवे पर बने फ्लाई ओवर से दिख रहा है ।
फ्लाई ओवर से दायीं ओर का नज़ारा ।
और ये बायीं ओर मयूर विहार की तरफ का दृश्य ।
कुदरत के सामने किस की चली है । राष्ट्र मंडल खेल तो होने ही हैं । अब इसी माहौल में होंगे , यह निश्चित है ।
नोट : ये तस्वीरें पिछले रविवार की हैं । पानी अब उतर चुका है । इसलिए खेलों में कोई विघ्न नहीं आने वाला ।
तो आइये आपको भी दिखाते हैं दिल्ली में बाढ़ का नज़ारा ।
यह बिहार , असम या उत्तर प्रदेश का दृश्य नहीं है । बल्कि यह यमुना का नज़ारा है , दिल्ली के मयूर विहार क्षेत्र के सामने , नोयडा रोड से ।
मजदूरों के बच्चों के लिए प्राकृतिक तरण ताल ।
ज़रा पास से देखें तो ये बच्चे घरों की छत पर खड़े हैं जो पानी में लगभग डूब चुके हैं ।
पृष्ठ भूमि में दिखाई दे रहा है कॉमन वेल्थ गेम्स विलेज ।
और यहाँ अक्षरधाम मंदिर ।
यह दृश्य हाइवे पर बने फ्लाई ओवर से दिख रहा है ।
फ्लाई ओवर से दायीं ओर का नज़ारा ।
और ये बायीं ओर मयूर विहार की तरफ का दृश्य ।
कुदरत के सामने किस की चली है । राष्ट्र मंडल खेल तो होने ही हैं । अब इसी माहौल में होंगे , यह निश्चित है ।
नोट : ये तस्वीरें पिछले रविवार की हैं । पानी अब उतर चुका है । इसलिए खेलों में कोई विघ्न नहीं आने वाला ।
गुरुवार, 23 सितंबर 2010
कुछ तस्वीरें , यादों के पिटारे से ----
प्रस्तुत हैं कुछ तस्वीरें , यादों के पिटारे से ----
दूर इस झील के पार हमारा घर है ----।
ओहरे ताल मिले नदी के जल में , नदी मिले सागर में ---।
उफान पर नदी ।
अंग्रेजों की रातें बड़ी रंगीन होती हैं ---।
शाम होते ही पंछी घर की ओर चल देते हैं ----।
दो देश ---एक तरफ दिन , एक तरफ रात ----।
चौड़े पाट वाली नदी , कैसा रूप धारण कर लेती है ----।
थोडा दाना हमें भी ----।
आजा शाम होने आई , मौसम ने ली अंगडाई ----।
ये छोटे छोटे हवाई ज़हाज़ हैं या ----। क्या उड़ान है !
इंसान का सच्चा स्वरुप ----।
इस गाड़ी का नाम जानते हैं ?
शांत झील में थोड़ी सी खलबली ----।
ये शांत झील और ये शाम का समां ----।
ये कहाँ आ गए हम ---ये आ रहे हैं या जा रहे हैं ?
दूर इस झील के पार हमारा घर है ----।
ओहरे ताल मिले नदी के जल में , नदी मिले सागर में ---।
उफान पर नदी ।
अंग्रेजों की रातें बड़ी रंगीन होती हैं ---।
शाम होते ही पंछी घर की ओर चल देते हैं ----।
दो देश ---एक तरफ दिन , एक तरफ रात ----।
चौड़े पाट वाली नदी , कैसा रूप धारण कर लेती है ----।
थोडा दाना हमें भी ----।
आजा शाम होने आई , मौसम ने ली अंगडाई ----।
ये छोटे छोटे हवाई ज़हाज़ हैं या ----। क्या उड़ान है !
इंसान का सच्चा स्वरुप ----।
इस गाड़ी का नाम जानते हैं ?
शांत झील में थोड़ी सी खलबली ----।
ये शांत झील और ये शाम का समां ----।
ये कहाँ आ गए हम ---ये आ रहे हैं या जा रहे हैं ?
रविवार, 29 अगस्त 2010
मौसम के अनेक रूप , तस्वीरों के संग ----
जाने क्यों आज
मौसम के मिज़ाज़ उखड़े उखड़े से हैं,
हवाएं भी उदास आ रही हैं नज़र ।
इसी उदासी को मिटाने के लिए चलिए प्रस्तुत हैं कुछ मेरी पसंद की तस्वीरें ।
बादलों की छटा , झील के पानी में उतर आई है ।
यहाँ किस का रंग , किस पर चढ़ गया है , पता ही नहीं ।
एक प्रतिबिम्ब ऐसा भी ।
ये कौन सी जगह है दोस्तों ---
रात में इंडिया गेट का नज़ारा ।
ये सूरज मुर्झा गया है या चाँद जल्दी निकल आया है ।
आदमी इतना स्वार्थी भी नहीं है !
किस सोच में पड़े हो तुम ---
अब तक तो तबियत रंग बिरंगी हो गई होगी ।
हरियाणवी लोक नृत्य के ठुमके देखकर कोई उदासी टिक नहीं सकती ।
मौसम के मिज़ाज़ उखड़े उखड़े से हैं,
हवाएं भी उदास आ रही हैं नज़र ।
इसी उदासी को मिटाने के लिए चलिए प्रस्तुत हैं कुछ मेरी पसंद की तस्वीरें ।
बादलों की छटा , झील के पानी में उतर आई है ।
यहाँ किस का रंग , किस पर चढ़ गया है , पता ही नहीं ।
एक प्रतिबिम्ब ऐसा भी ।
ये कौन सी जगह है दोस्तों ---
रात में इंडिया गेट का नज़ारा ।
ये सूरज मुर्झा गया है या चाँद जल्दी निकल आया है ।
आदमी इतना स्वार्थी भी नहीं है !
किस सोच में पड़े हो तुम ---
अब तक तो तबियत रंग बिरंगी हो गई होगी ।
हरियाणवी लोक नृत्य के ठुमके देखकर कोई उदासी टिक नहीं सकती ।
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