सोमवार, 14 जनवरी 2013

सियाचिन की बर्फीली पहाड़ियों पर सुरक्षा में तैनात बहादुर जांबाज़ सैनिकों को नमन --


सियाचिन की बर्फीली पहाड़ियों पर हमारे जांबाज़ सैनिक।  


विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध स्थल सदा बर्फ से ढका रहता है।  




यहाँ दुश्मन के साथ साथ कडकडाती ठण्ड का भी सामना करना पड़ता है। 




यही इनका बंगला है , यही महल।  





हाथ से हाथ मिलाकर , बर्फ से ढकी ऊंची पहाड़ियों पर गश्त लगाना निश्चित ही बहुत जोखिम भरा काम है। 




प्यास लगे तो प्राकृतिक बिसलेरी है। 




इनके लिए रसद पहुँचाने का बस यही एकमात्र साधन है। 



इनके साहस , ताकत और होंसले का कोई ज़वाब नहीं। 



यह साइनबोर्ड याद दिलाता है कि आप कहाँ खड़े हैं। 






वॉर मेमोरियल --शहीदों के सम्मान में। 


देश के सम्मान और सरहद की सुरक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले इन रणबांकुरे बहादुर नौज़वानों को शत शत नमन। 




शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

पक्षियों का समाज ---




देखिये क्या हम पक्षियों से कुछ सीख सकते हैं ! 





साँझ ढले पंछियों का कलरव। 




कभी तकरार है।  






तो कभी प्यार है। 

ज़ाहिर है , पक्षी भी सामाजिक प्राणी हैं। लेकिन इंसानों की तरह समाज पर कलंक नहीं लगाते ।