सोमवार, 24 जून 2013

पहाड़ों के सर भी गंजे हो जाते हैं---


यदि हम पहाड़ों की कद्र करें तो पहाड़ हमें बहुत खुशियाँ प्रदान कर सकते हैं।



इस ऊंचे पहाड़ के सामने जाती यह पहाड़ी सड़क बहुत मनमोहक नज़ारा प्रस्तुत करती है।



पेड़ पौधों से ढके ये पहाड़ मनुष्य के जीवन की लाइफ़ लाइन हैं।



इस तरह के स्लेटी पहाड़ कहीं कहीं ही दिखते हैं।



पर्वत की छाया में शाम के सूर्य की किरणें भी छन छन कर आती हैं।



सूर्यास्त के समय बादल पर्वतों की खूबसूरती में जैसे चार चाँद लगा देते हैं।



सूर्य देवता भी प्रसन्न होकर अपना रंग रूप बिखेर देते हैं।
 


जंगल में मंगल मनाने के सारे साधन उपलब्ध होते हैं। लेकिन हमें अपना फ़र्ज़ नहीं भूलना चाहिए।
 


इन पेड़ों का सर सदा ऊंचा रहेगा तो इन्सान भी सुखी रहेगा।



वर्ना हमारी गलतियों का खामियाज़ा हमारी आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। बर्फ से ढके पहाड़ फिर देखने को कहाँ मिल पाएंगे ! 




एक भव्य भवन।



एक स्वर्गिक दृश्य।



पहाड़ों के सर भी गंजे हो जाते हैं। मनुष्य ने अपने सर के बाल बचाने या फिर से उगाने का इंतजाम तो कर लिया है। लेकिन क्या पर्वतों के बारे में भी सोचेंगे ? सोचिये ज़रूर।