शुक्रवार, 24 मई 2013

जब हम गोवा में गाइड बने ---


पिछले वर्ष फ़रवरी में गोवा में हुई एक कोंफेरेंस में भाग लेने के लिए हम पति पत्नी दोनों ने पंजीकरण कराया था। लेकिन शायद यह होना नहीं था। इसलिए एन वक्त पर श्रीमती जी की टिकेट रद्द करानी पड़ी। और हम रह गए अकेले गोवा की रंगीनियों में। 

हमने भी इस अवसर का सदुपयोग करते हुए अपने पिछले अनुभव का फायदा उठाते हुए , एक गाइड का रोल अपना लिया और अपने साथ के डॉक्टर्स को लेकर निकल पड़े गोवा की सैर पर। 



 गोवा फोर्ट की सैर कराते हुए। सर पर बाल जितने भी हों , उड़ते हुए जुल्फें ही कहलाते हैं. 




समुद्र में मोटर बोट पर। मुश्किल से ही बेलेंस बन रहा था. 




मोटर बोट की सवारी कराकर सकुशल बाहर निकाल लाए ।




होटल में बुड्ढा पार्टी को एक सीक्रेट मिशन पर ले जाते हुए।





 प्रोपर्टी डीलर का काम करते हुए समुदे किनारे बने फ्लैट्स दिखाते हुए।पार्टी मोटी हो तो सौदा होने का चांस बढ़िया होता है. 





जीवन के सब उपवन जब मुरझाने लगें , तब गार्डन की सैर तन मन को चुस्ती स्फूर्ति से भर सकती है। 





दो युवाओं के बीच।  





स्पाईस गार्डन की सैर।





यहाँ स्वागत ऐसे किया जाता है। लेकिन इस माला की कीमत है ४०० रूपये. 





विदेशी अंग्रेजों के बीच देसी अंग्रेज़।

और इस तरह हमने अपने साथ के युवा और नोट सो युवा डॉक्टरों को गोवा की सैर कराई , बिना कोई बक्शीश लिए। यहाँ संवेदनाओं का ख्याल रखते हुए महिलाओं को सुरक्षित रखा गया है , इसलिए नज़र नहीं आ रही।



गुरुवार, 2 मई 2013

कहीं दूर जब दिन ढल जाये --- गीतमाला...


कहीं दूर जब दिन ढल जाये ---



साँझ की दुल्हन बदन चुराए -- चुपके से आये --




खोया खोया चाँद , खुला आसमान ---





तुमको भी कैसे नींद आएगी ---






सूरज हुआ मध्यम --- चाँद जलने लगा --






चाँद छुपा और तारे डूबे ---रात ग़ज़ब की आई ---






ये पर्बतों के दायरे -- ये शाम का धुआं --




फिर सुबह हुई ---





दूर से देखा ---




पास से देखा ---





दिन लाल गुलाबी हो गया ---