रविवार, 29 अगस्त 2010

मौसम के अनेक रूप , तस्वीरों के संग ----

जाने क्यों आज
मौसम के मिज़ाज़ उखड़े उखड़े से हैं,
हवाएं भी उदास आ रही हैं नज़र ।

इसी उदासी को मिटाने के लिए चलिए प्रस्तुत हैं कुछ मेरी पसंद की तस्वीरें ।


बादलों की छटा , झील के पानी में उतर आई है



यहाँ किस का रंग , किस पर चढ़ गया है , पता ही नहीं ।



एक प्रतिबिम्ब ऐसा भी ।




ये कौन सी जगह है दोस्तों ---




रात में इंडिया गेट का नज़ारा ।




ये सूरज मुर्झा गया है या चाँद जल्दी निकल आया है ।




आदमी इतना स्वार्थी भी नहीं है !




किस सोच में पड़े हो तुम ---




अब तक तो तबियत रंग बिरंगी हो गई होगी ।



हरियाणवी लोक नृत्य के ठुमके देखकर कोई उदासी टिक नहीं सकती ।