फ़रिश्ते उतर आए ज़मीं पर --
दुनिया रंगीन हो गई --
चाँद ने भी झांक कर देखा पेड़ों की ओट से --
बादल भी निहारने लगे पृथ्वी को --
पाताल में भी रंग बिखर गए --
रात भी कम रंगीन नहीं रही --
जिंदगी हर हाल में सरपट दौड़ती है --
सिर्फ पृथ्वी ही गोल नहीं है ---
पृथ्वी पर जीवन के भी अनेक रूप हैं ---
अन्तरिक्ष की ओर उड़ान---
ज़मीन पर जब शाम होने लगी --
तो यह था ज़मीं से आसमाँ , और आसमाँ से ज़मीं तक का सफ़र .
डाक्टर साहब सभी चित्र मन भावन हैं लेकिन कहाँ के हैं ये समझ में नहीं आया..
जवाब देंहटाएंनीरज
सभी चित्र आकर्षक और मनभावन हैं। सार्वजनिक करने हेतु धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंइतने सुन्दर चित्र कहाँ के हैं?
जवाब देंहटाएंनीरज जी , सब पुराने हैं । ज़रा याद कीजिये ।
जवाब देंहटाएंटोरोंटो से क्यूबेक के रास्ते के हैं ।
खुबसूरत चित्र हैं, आभार
जवाब देंहटाएंअद्भुत तस्वीरें हैं। आप चाहें,तो फोटोग्राफी की कक्षाएं भी शुरू कर सकते हैं। बहुत से ब्लॉगरों को फायदा होगा।
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