रविवार, 21 फ़रवरी 2010

दिल्ली की सैर ---गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसिज ---

दिल्ली में महरौली से बदरपुर जाने वाली सड़क पर , क़ुतुब से एक किलोमीटर दूर दक्षिण की तरफ बना है --गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसेज

प्रवेश करते ही --

हरियाली --


हरियाली के साथ फूल भी ---



हरियाली के बीच एक पेड़ जो वंचित रह गया ---



पेड़ों के बीच फव्वारा ---



थोडा जंगल नुमा भी ---



यहाँ बैठना मना है --पता नहीं क्यों ---



शांति , शांति , शांति ---



घुमावदार सीढियाँ ---


जंगल में बनी मूर्तियाँ ---


नोट : दिल्ली टूरिज्म की तरफ से आज शाम ६ बजे तक यहाँ गार्डन टूरिस्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। अगर अवसर मिले तो देखिये ज़रूर। बसंत ऋतू में फूलों की सैर कर के आनंद आ जायेगा।
लेकिन यदि न भी जा पायें तो चिंता मत करिया , हम आपको सैर करा देंगे कल अंतर्मंथन पर ।

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

दिल्ली की जमा -मस्जिद , एक ऐतिहासिक मुग़ल स्मारक

यूँ तो हम दिल्ली के मूल निवासी हैं। लेकिन कहते हैं न की चिराग तले अँधेरा होता है। कुछ ऐसा ही हमारे साथ भी हुआ। जी हाँ, जिंदगी में पहली बार अवसर मिला , ज़ामा मस्जिद जाने का अभी हाल ही में।

आइये आप को भी दर्शन कराते हैं इस ऐतिहासिक मुग़ल स्मारक की।

दरिया गंज से लाल किला जाने वाली सड़क पर सुभाष पार्क से होकर रास्ता जाता है , ज़ामा मस्जिद के मुख्य द्वार तक। ज़ामा मस्जिद में प्रवेश करने के लिए तीन द्वार खुले रहते हैं। पूर्व, उत्तर और दक्षिण की ओर



मुख्य द्वार --पूर्व की ओर

रास्ते में मिलेंगी सैकड़ों दुकाने।


मुख्य प्रवेश द्वार
अन्दर से एक नज़ारा

प्रांगन में एक छतरी, उसके आगे जलाशय , उसके आगे नमाज़ हॉल


नमाज़ अदा करने का हॉल। नमाज़ के समय गैर मुस्लिम और महिलाओं का प्रवेश बंद कर दिया जाता है।


दूसरी तरफ से



दक्षिण में गेट नंबर एक की सीढियां और दूर मछली बाज़ार । यहाँ बहुत भीड़ भाड़ रहती है।

मुख्य द्वार से एक द्रश्य ---दूर नज़र आता हुआ --लाल किला


मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में दो ऐतिहासिक निर्माण किये थे । एक ज़ामा मस्जिद और दूसरा लाल किला
दिल्ली आयें तो दोनों जगह जाना न भूलें।