दिल्ली में महरौली से बदरपुर जाने वाली सड़क पर , क़ुतुब से एक किलोमीटर दूर दक्षिण की तरफ बना है --गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसेज।
प्रवेश करते ही --
हरियाली --
हरियाली के साथ फूल भी ---
हरियाली के बीच एक पेड़ जो वंचित रह गया ---
पेड़ों के बीच फव्वारा ---
थोडा जंगल नुमा भी ---
यहाँ बैठना मना है --पता नहीं क्यों ---
शांति , शांति , शांति ---
घुमावदार सीढियाँ ---
जंगल में बनी मूर्तियाँ ---
नोट : दिल्ली टूरिज्म की तरफ से आज शाम ६ बजे तक यहाँ गार्डन टूरिस्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। अगर अवसर मिले तो देखिये ज़रूर। बसंत ऋतू में फूलों की सैर कर के आनंद आ जायेगा।
लेकिन यदि न भी जा पायें तो चिंता मत करिया , हम आपको सैर करा देंगे कल अंतर्मंथन पर ।
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वाह बेहतरीन फ़ोटो, हम तो इस ब्लॉग पर आज आ पाये।
जवाब देंहटाएंवाह क्या दृश्य लिये है आपने
जवाब देंहटाएंवंचित क्या सिंचित नहीं था.
बहुत सुन्दर चित्र हैं....आभार।
जवाब देंहटाएंवाह डाक्टर साहब कमाल के फोटो हैं .... मैने तो पहले भी लिखा था आपकी फोटोग्राफी कमाल की है ... धीरे धीरे ये बात साबित होती जा रही है ... ये जगह भी लाजवाब लगती है अगले ट्रिप में देखनी पढ़ेगी ...
जवाब देंहटाएंवाह क्या दिल्ली है ऐसे ही ये दिल वालों की नही बनी। बहुत सुन्दर तस्वीरें हैं धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंआनन्द आ गया चित्रों को देखकर! दिल्ली तो कई बार गया हूँ किन्तु हमेशा हड़बड़ी रही। हड़बड़ी में ये सब कहाँ से देख पाता। आपने दिखाया। धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लगा दिल्ली को आप की नजरो से देखना, सभी चित्र एक से बढ कर एक.कल की पोस्ट अंतर्मंथन पर भी इंतजार रहेगा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया!
जवाब देंहटाएंagar buraa naa maane to ek baat kahu--
जवाब देंहटाएं"aap apne doosre blog main to bahut post karte hain, lekin is blog main bilkul nahi. ye kyon??? us blog ke saath-saath aapko iss blog main bhi kuch posts karne chaahiye. aapke do betae (blogs) hain, ek kaa jyada or doosre ka kam karnaa saraasar galat hain. aapko apne dono baeto (blogs) ke saath samaan vyavahaar (posts) karnaa chaahiye."
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
सारे चित्र एक से बढ कर एक...बहुत बहुत शुक्रिया आपका इनके लिए
जवाब देंहटाएंनीरज
अरे, इतनी खूबसूरत है दिल्ली?
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
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कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?
Bahut khoobsoorst chitr hain..hariyali ke saath jo do nishparn pedon ke chitr hai,unhon nebhee man moh liya...feel like converting those in my fiber art!They r so ethereal!
जवाब देंहटाएंहमने भी सैर कर ली..बड़ा मजा आया .
जवाब देंहटाएं----------------------
"पाखी की दुनिया" में इस बार पोर्टब्लेयर के खूबसूरत म्यूजियम की सैर
वाह ये इतना सुंदर है? आस पास की भीड़ व धुआं धक्कड़ के चलते हमारी तो कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि अंदर भी जा सकते. इसके आसपास का बाहर वाला इलाका तो घोर घना व इतना गंदा है कि क्या कहूं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्र हैं...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवैसे आपके चित्रसंग्रह का शौक हमें दिल्ली के नजारों से यहां घर बैठे ही मालामाल कर देता है, आभार दराल जी।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपके आगमन के लिए धन्यावाद .आपके ब्लॉग पर भी मै पहली बार आया हूँ और ब्लॉग पढ़कर मजा आ गया . आपके तीनो ब्लॉग बहुत ही अच्छे है . चित्रकथा तो दिल्ली की पुरी कहानी ही कहती है , दिल्ली का हर रंग इसमें समाया हुआ है . गार्डेन ऑफ़ फाइव सेंसेस, मै अभी तक नहीं गया हूँ ,पर अब जरुर जाउंगा . चित्रकथा के अगले अंक का अब हमेशा इन्तेजार रहेगा .
जवाब देंहटाएंDelhi kee sair kee aap ke chitron ke sath...bahut maza aya ....
जवाब देंहटाएं"Haryalee main ek paed (tree) jo paton se vanchit reha...shayad vo deciduous tree hoga...aur bakee trees evergreen hai...yeh kudrat ka neeyam hai...vo winters main en trees ko paton se vanchit kar detee hai?
Es ke peeche bhee Science hai!