सोमवार, 14 जनवरी 2013

सियाचिन की बर्फीली पहाड़ियों पर सुरक्षा में तैनात बहादुर जांबाज़ सैनिकों को नमन --


सियाचिन की बर्फीली पहाड़ियों पर हमारे जांबाज़ सैनिक।  


विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध स्थल सदा बर्फ से ढका रहता है।  




यहाँ दुश्मन के साथ साथ कडकडाती ठण्ड का भी सामना करना पड़ता है। 




यही इनका बंगला है , यही महल।  





हाथ से हाथ मिलाकर , बर्फ से ढकी ऊंची पहाड़ियों पर गश्त लगाना निश्चित ही बहुत जोखिम भरा काम है। 




प्यास लगे तो प्राकृतिक बिसलेरी है। 




इनके लिए रसद पहुँचाने का बस यही एकमात्र साधन है। 



इनके साहस , ताकत और होंसले का कोई ज़वाब नहीं। 



यह साइनबोर्ड याद दिलाता है कि आप कहाँ खड़े हैं। 






वॉर मेमोरियल --शहीदों के सम्मान में। 


देश के सम्मान और सरहद की सुरक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले इन रणबांकुरे बहादुर नौज़वानों को शत शत नमन। 




12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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  2. निश्चित ही हमारे ज़वानों का जज़्बा नमन करने योग्य है। चित्रों के माध्यम से प्रतिकूल परिस्थितियों का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है। हमें तो चित्र देखकर ही ठण्ड लगने लगी। रजाई ओढ़नी ही पड़ेगी अब तो।

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  3. गज़ब का साहस है हमारे वीर जवानों में...

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  4. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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  5. देश के सम्मान और सरहद की सुरक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले इन रणबांकुरे बहादुर नौज़वानों को शत शत नम

    अभिनव प्रस्तुति जाँ बाजों के रोजनामचे की .

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  6. अब पता लगा कि हम ऐसे ऐसे दुश्मनों के रहते हुए भी आराम से अपने घरों में चादर तान कर क्यों सो लेते हैं.

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