गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

गाना आए या न आए , गाना चाहिए ---


ऐसा नज़ारा और कहाँ मिलेगा देखने को !



अब तो समझ में आ ही गया कि पहले अंडा ही आया था।






आखिर ऑटो रिक्शा वाले के भी कुछ ज़ज्बात होते हैं !






यूज करें या न करें , यह तो आपकी मर्ज़ी है। हमारा काम तो समझाना था।






फोन नंबर तो है ही, मिलाकर देखिये तो।






वाह ! सही मायने में धर्म निरपेक्षता का उदाहरण !  अच्छा लगा।






न बाथरूम, न वाशरूम , न ही रेस्टरूम -- इसे कहते हैं हिंगलिश !







जल्दी कीजिये -- लगता है टी वी वालों को भी यह कहने की आदत इसे पढ़कर ही पड़ी होगी।



6 टिप्‍पणियां:


  1. शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का .

    इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के ....

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  2. मजा आ गया । आशा है भविष्य में भी आप इस तरह के चित्र प्रस्तुत करते रहेंगे। धन्यवाद। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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  3. शानदार ,
    जारी रहिये,
    बधाई !!

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  4. क्योंकि हर फ़ोटो कुछ कहता है , कैप्शन ने तो इसे और भी मजेदार बना दिया है । कमाल की पोस्ट


    अव्यवस्था के प्रति असंतोष से उपजता आंदोलन



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