जाने क्यों आज
मौसम के मिज़ाज़ उखड़े उखड़े से हैं,
हवाएं भी उदास आ रही हैं नज़र ।
इसी उदासी को मिटाने के लिए चलिए प्रस्तुत हैं कुछ मेरी पसंद की तस्वीरें ।

बादलों की छटा , झील के पानी में
उतर आई है
।

यहाँ किस का रंग , किस पर चढ़ गया है , पता ही नहीं ।

एक प्रतिबिम्ब ऐसा भी ।

ये कौन सी जगह है दोस्तों ---

रात में इंडिया गेट का नज़ारा ।

ये सूरज मुर्झा गया है या चाँद जल्दी निकल आया है ।

आदमी इतना स्वार्थी भी नहीं है !

किस सोच में पड़े हो तुम ---

अब तक तो तबियत रंग बिरंगी हो गई होगी ।

हरियाणवी लोक नृत्य के ठुमके देखकर कोई उदासी टिक नहीं सकती ।