इस रूट पर आरम्भ में ही विजय माल्या का गर्मियों का विशाल विश्राम घर है ।
शहर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर यह गौल्फ़ कोर्स है । पहाड़ों में बने इस गौल्फ़ कोर्स की छटा ही निराली है ।


कुछ और आगे जाने पर एक पाइन फोरेस्ट आता है । यहाँ फिल्म क़र्ज़ की शूटिंग हुई थी । तब से यह स्थान बहुत लोकप्रिय हो गया ।
पाइन के पेड़ों के बीच से उतरकर इस प्राकृतिक झील तक पहुँचते हैं । ज़ाहिर है , बरसात के दिनों में इसका जल स्तर बहुत बढ़ जाता होगा ।

इस पुल को देखकर आपको कुछ याद आ रहा है ?

फिल्म में कितना अलग लगता है ना ।

थोडा आगे जाने पर आता है --नाइंथ माइल ।
यह एक ऐसा टीला है जहाँ से चारों ओर की वादियाँ नज़र आती हैं । काफी दूर तक फैला और ऊंचा यह टीला वास्तव में काफी विशाल लगता है । यहाँ भी अनेक फिल्मों की शूटिंग हुई है , जैसे मैंने प्यार किया ।


अब चलते हैं पाय्करा लेक की ओर ।
रास्ते में पहले एक और झील आती है जिसके पास एक झरना बहता है ।

पाय्करा लेक :

यहाँ आप मोटर बोट और स्पीड बोट की सवारी का आनंद ले सकते हैं ।
पाय्करा लेक के बाद इस टूर का अगला और अंतिम पड़ाव है --मेदुमलाई जंगल सफारी ।
इसके लिए हाइवे ६७ पर चलते हुए और ऊँचाई से नीचे उतरते हुए मेदुमलाई जंगल पहुँचते हैं ।
रास्ते में थोड़ी थोड़ी दूर पर पेड़ों के बदलती किस्मे देखकर बड़ा मज़ा आया ।
कहीं बांस के पेड़ों का झुरमुट , कहीं यूकेलिप्टस के पेड़ों की कतार ।

एक जगह सिल्वर ओक के पेड़ों का वन था । इन पेड़ों की पत्तियां एक ओर से लाईट रिफ्लेक्ट करती हैं । इसलिए सफ़ेद सी नज़र आती हैं जबकि होती नहीं ।

मेदुमलाई जंगल :
यह वही क्षेत्र है जहाँ कभी वीरप्पन का राज हुआ करता था । यह जंगल कर्णाटक , तमिल नाडु और केरल के सीमावर्ती क्षेत्रों में फैला है । यहाँ बाघ , चीते , हाथी , जंगली भैंसे आदि देखे जा सकते हैं ।


पौने घंटे के सफ़र के लिए एक घंटा इंतजार करना पड़ता है टिकेट के लिए ।
एक छोटी बस में बैठकर जिसमे करीब २० सवारी आती हैं , हम निकल पड़े जंगल की सैर को ।

देखने में घरेलु भैंसों से ज्यादा तगड़े और खुंखार ।
लेकिन हमें देख थोड़ा झिझके , फिर मौन भाषा में विमर्श कर , सब एक साइड से दूसरी साइड को दौड़ गए सड़क को पार करते हुए ।
एक अलग सा अनुभव था उन्हें देखना ।
एक जगह चीतल हिरणों का झुण्ड नज़र आया जो देखने में बहुत शानदार लग रहा था । तब तक बारिश शुरू हो चुकी थी इसलिए और जानवरों के दिखने की सम्भावना ख़त्म हो गई ।
एक जगह गिद्धों को उछल कूद मचाते देखकर आभास हुआ कि वहां किसी शिकार के अवशेष रहे होंगे ।
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर की भाषा में --वहां कुछ समय पहले एक किल हुआ होगा ।

पता चला इसी रास्ते पर जंगल के बीच मिथुन चक्रवर्ती का होटल है जो हमेशा भरा रहता है ।

नोट : एक चटका यहाँ भी लगायें , यदि न लगाया हो तो ।