इस ब्लॉग की यह १०० वीं पोस्ट है। सुन्दर चित्रों से सुसज्जित इस ब्लॉग को बहुत पसंद किया गया। लेकिन अब ब्लॉगिंग में लोगों की दिलचस्पी लगभग ख़त्म सी हो गई है। इसलिए शतक पूरा होते ही इस ब्लॉग की इतिश्री करने का विचार है।
फ़िलहाल पिछली शिमला यात्रा से प्रस्तुत हैं कुछ चुनिंदा तस्वीरें :
शिमला का मॉल रोड जहाँ गांधी जी की मूर्ती के आगे खुले स्पाट मैदान में जहाँ अंग्रेज़ों के ज़माने में इंडियंस का जाना मना था , अब देश विदेश के हज़ारों सैलानी रोज सैर करते नज़र आते हैं। दूर जाखू हिल पर हनुमान की मूर्ती कुछ वर्ष पूर्व स्थापित हुई है और दूर से भी बड़ा भव्य दृश्य प्रस्तुत करती है।
मॉल रोड के अंत में बना है सबसे ज्यादा ऊँचाई पर सरकारी होटल ग्रैंड जहाँ कभी २० रूपये में बहुत बड़ा कमरा सरकारी नौकरों को मिल जाता था। अब वही ६०० से ८०० के बीच था। पहले यहाँ पानी की बड़ी किल्लत रहती थी लेकिन अब उनका दावा है कि पानी २४ घंटे मिलता है।
ग्रैंड होटल के सामने ही बहुत खूबसूरत जगह पर मिला ये खँडहर हुआ शानदार बंगला जो किसी हॉरर फिल्म के सैट जैसा दिख रहा था। ज़ाहिर है , कभी यह भी आबाद रहा होगा और शान शौकत का प्रतीक रहा होगा।
क्योंकि ब्लॉगिंग की हालत भी इस बंगले जैसी हो गई है , इसलिए इस १०० वीं पोस्ट के साथ चित्रकथा का समापन होता है ।
सभी को शुभकामनायें।
फ़िलहाल पिछली शिमला यात्रा से प्रस्तुत हैं कुछ चुनिंदा तस्वीरें :
शिमला का मॉल रोड जहाँ गांधी जी की मूर्ती के आगे खुले स्पाट मैदान में जहाँ अंग्रेज़ों के ज़माने में इंडियंस का जाना मना था , अब देश विदेश के हज़ारों सैलानी रोज सैर करते नज़र आते हैं। दूर जाखू हिल पर हनुमान की मूर्ती कुछ वर्ष पूर्व स्थापित हुई है और दूर से भी बड़ा भव्य दृश्य प्रस्तुत करती है।
मॉल रोड के अंत में बना है सबसे ज्यादा ऊँचाई पर सरकारी होटल ग्रैंड जहाँ कभी २० रूपये में बहुत बड़ा कमरा सरकारी नौकरों को मिल जाता था। अब वही ६०० से ८०० के बीच था। पहले यहाँ पानी की बड़ी किल्लत रहती थी लेकिन अब उनका दावा है कि पानी २४ घंटे मिलता है।
ग्रैंड होटल के सामने ही बहुत खूबसूरत जगह पर मिला ये खँडहर हुआ शानदार बंगला जो किसी हॉरर फिल्म के सैट जैसा दिख रहा था। ज़ाहिर है , कभी यह भी आबाद रहा होगा और शान शौकत का प्रतीक रहा होगा।
क्योंकि ब्लॉगिंग की हालत भी इस बंगले जैसी हो गई है , इसलिए इस १०० वीं पोस्ट के साथ चित्रकथा का समापन होता है ।
सभी को शुभकामनायें।
main lagbhag har blog padhtaa rahaa hoon.
जवाब देंहटाएंmiss karungaa aapke blogs ko.
kaash, aapki blogging chaalu rahti.
सिर्फ चित्रकथा को बंद करेंगे। अंतर्मंथन चालू रहेगा।
हटाएंसमापन क्यों? मैं तो यही कहूँगी की ब्लॉग निरंतर चलता रहे ...भले देर-सवेर हो जाय ...
जवाब देंहटाएंजी बात तो सही है। लेकिन ...
हटाएंसुन्दर चित्र .... कृपया जारी रखें ,
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी।
हटाएंसही कहा डॉ साहेब। कहाँ गए वो दिन
जवाब देंहटाएंलौट कर नहीं आने वाले जी ...
हटाएंहम जैसे लोगों के लिए ही लिखते रहिए। बस चुप न रहिए।
जवाब देंहटाएंअंतर्मंथन पर आ जाइये।
हटाएंसमापन क्यों? मैं तो यही कहूँगी की ब्लॉग निरंतर चलता रहे ...100 क्या 1000 पर भी नहीं रुकना था आपको ...ये कोई क्रिकेट मैच थोड़े है शतक बनाया और सन्यास ले लिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पोस्ट है,आप निरन्तर लिखते रहिये सृजन ही जीवन है ।
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