मनुष्यों की तरह पेड़ों के भी अनेक रंग रूप होते हैं।
ये बेचारा तो जल बिच मीन प्यासी की तरह लग रहा है।
इसके सूखेपन पर मत जाइये। यह स्टील का बना है !
यह तो लगता है रामसे फिल्म्स की किसी फ़िल्म का किरदार रहा होगा !
यह छंगा छाप पेड़ है पर इसमें भी छेद है ! लगता है किसी मेहमान पक्षी ने यहाँ बंगला बनाया है !
यह न जाने कब से इस अहाते में कैद खड़ा है !
यह तो वास्तव में मुग़लों के ज़माने से इस पार्क की शोभा बढ़ा रहा है !
इन्हे देखकर तो दिल्ली में भी समुद्र किनारे का अहसास हो रहा है !
रक्षक
पेड़ों का व्यक्तित्व होता है, आकार बहुत कुछ कहता है।
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