गुरुवार, 2 मई 2013

कहीं दूर जब दिन ढल जाये --- गीतमाला...


कहीं दूर जब दिन ढल जाये ---



साँझ की दुल्हन बदन चुराए -- चुपके से आये --




खोया खोया चाँद , खुला आसमान ---





तुमको भी कैसे नींद आएगी ---






सूरज हुआ मध्यम --- चाँद जलने लगा --






चाँद छुपा और तारे डूबे ---रात ग़ज़ब की आई ---






ये पर्बतों के दायरे -- ये शाम का धुआं --




फिर सुबह हुई ---





दूर से देखा ---




पास से देखा ---





दिन लाल गुलाबी हो गया ---


5 टिप्‍पणियां:

  1. ये चित्र कथा और चुने हुए गानों के साथ - कभी कभी गुनगुनाने का समय न भी हो तो आपने फिर से पर ला ही दिए . बहुत अच्छा लगा

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  2. कोई दीप भी जलाये, सपनों के। बहुत ही प्यारे चित्र..

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  3. चित्र माला देखते देखते याद आ गया ये गीत -चाँद आहें भरेगा ,फूल दिल थाम लेनेगे ,हुश्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे .....

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  4. दूर से देखा ,पा स से देखा ,दिन गुलाबी हो गया ,रात शरारती .......वाह !क्या छायांकन है गजब का ......

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