पृथ्वी पर प्रकृति ने मनुष्य को बहुत बड़ा खज़ाना दिया है --पहाड़ , पेड़ और पानी के रूप में ।
इनकी रक्षा करना हमारा काम है ।
आइये देखते हैं प्रकृति के कुछ मनभावन रूप :
मौसम का मज़ा लेता हुआ पक्षी
१४० साल पुराना पेड़
पाइन फोरेस्ट
पेपर वुड वृक्ष
जंगल के लिए टिकेट घर
सिम्स पार्क कुन्नूर में एक पिकनिक पेड़
यूकेलिप्टस के पेड़
शाम के समय
बादल भी घिर आए हैं ।
नोट : सभी चित्र ऊटी और आस पास के क्षेत्रों में लिए गए हैं ।
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सारे के सारे चित्र मन्त्र मुग्ध कर देते हैं...इश्वर ने हमें कितना कुछ दिया है ...और हमने...????
जवाब देंहटाएंइक नदी बहती कभी थी जो यहाँ
बस गया इंसां तो नाली हो गयी.
नीरज
प्रकृति यहाँ एकान्त बैठ निज रूप सँवारति।
जवाब देंहटाएंमनोहारी चित्र .....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लगे ये सभी चित्र
जवाब देंहटाएं---------------------
कल 29/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
मनोहारी चित्र ..... धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमनोरम चित्र कथा बहुत अच्छी है.
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी छटा दिखाई है आपने इन चित्रों के माध्यम से ...कुछ जगह चित्र परिचय ( जैसे सबसे पहला...शायद इंडिया गेट ? ) छुट गया है वह अवश्य दीजिये तो और आनंद आता !
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
सतीश जी , यह चित्र पोस्ट का हिस्सा नहीं है । यह तो हैडर है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत चित्र हैं.....वाकई....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रकृति के मनोहर दृश्य देखकर मन भी हरा भरा सा हो गया. शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लगे ये खूबसूरत चित्र !
जवाब देंहटाएंBahut sundar chayankan!!!
जवाब देंहटाएंडॉक्टर साहिब, आप सार्थक करते हैं कथन को, "सुन्दरता देखने वाले की आँख में होती है"!
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रों के लिए धन्यवाद!
जे सी जी , प्रकृति से सुन्दर और भला क्या हो सकता है !
जवाब देंहटाएंपेड़ शर्माते नहंी अपने आकार से झूठ भी नहीं बोलते, जैसे हैं दीखते हैं। आपकी की ही आंख से अर्थ ले लेते हैं।
जवाब देंहटाएंmasha-allah kayamat ki khoobsurti.......prakirt
जवाब देंहटाएंka.......
pranam.