दिल्ली के पुराने किले के आगे बनी यह खूबसूरत झील, हजारों लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गयी है। अभी इसका पूर्ण विकास कार्य चल ही रहा है। फिर भी देखिये कैसा महसूस होता है यहाँ आकर।
मथुरा रोड पर बना ये एंट्री गेट ---गर्मागर्म मूंगफलियाँ ---सर्दियों में दे गर्मी का अहसास।
गेट से घुसते ही देखिये एक तरफ सड़क का ट्रैफिक , दूसरी ओर झील का पानी।
ये पगडण्डी आ रही है , पुराना किला की ओर से। यानि किले से बाहर निकलकर आप यहाँ आ सकते हैं।
प्रष्ठ भूमि में किले की दीवार।
ऐसे में बोटिंग का अपना ही मज़ा है। लगेगा जैसे आप कोई मुग़ल बादशाह हैं।
एक और द्रश्य।
बोटिंग के लिए टिकेट यहाँ मिलती है। पचास रूपये में आधा घंटा --चार व्यक्तियों के लिए । बढ़िया है ना।
लेकिन शाम होने आई, इसलिए हमने तो फिर कभी आने का निश्चय किया बोटिंग करने के लिए।
अंत में देखिये यह पेड़ --टूट कर गिर गया , मगर झुका नहीं। गिरे गिरे ही फिर से हरी हरी टहनियां उग आई।
शायद यही सीख देते हुए की विपरीत परिस्थितियों में भी कभी हार मान कर नहीं बैठ जाना चाहिए।
पर्सिस्तेंस और पर्जिवेरेंस ही सफलता की कुंजी हैं।
बुधवार, 27 जनवरी 2010
बुधवार, 20 जनवरी 2010
देखिये दिल्ली की धुंध और दिल्ली की सर्दी------.
आज सुबह जब हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार हुआ और बाहर निकलकर बालकनी से देखा, तो देखकर दांग रह गया। साढ़े आठ बजे भी सामने वाला ब्लॉक नज़र नहीं आ रहा था।
कुछ देर इंतज़ार कर जब सड़क पर पहुंचे , तो ऐसा नज़ारा था।
कुछ देर इंतज़ार कर जब सड़क पर पहुंचे , तो ऐसा नज़ारा था।
शुक्रवार, 8 जनवरी 2010
दिल्ली का एक सुप्रसिद्ध हरित क्षेत्र----कहाँ है ये?
आइये आपको सैर कराते हैं, दिल्ली के एक सुप्रसिद्ध हरित क्षेत्र की ---इस जगह को पहचानिए। यदि नहीं भी पहचान पायें तो कोई बात नहीं, दो दिन बाद अंतर्मंथन पर इसका विस्तृत विवरण पढ़ सकते हैं।
घना जंगल, शहर के बीचों बीच ।
और भी घना , लेकिन पगडण्डी तो है।
घना जंगल, शहर के बीचों बीच ।
और भी घना , लेकिन पगडण्डी तो है।
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