जाने क्यों आज
मौसम के मिज़ाज़ उखड़े उखड़े से हैं,
हवाएं भी उदास आ रही हैं नज़र ।
इसी उदासी को मिटाने के लिए चलिए प्रस्तुत हैं कुछ मेरी पसंद की तस्वीरें ।
बादलों की छटा , झील के पानी में उतर आई है ।
यहाँ किस का रंग , किस पर चढ़ गया है , पता ही नहीं ।
एक प्रतिबिम्ब ऐसा भी ।
ये कौन सी जगह है दोस्तों ---
रात में इंडिया गेट का नज़ारा ।
ये सूरज मुर्झा गया है या चाँद जल्दी निकल आया है ।
आदमी इतना स्वार्थी भी नहीं है !
किस सोच में पड़े हो तुम ---
अब तक तो तबियत रंग बिरंगी हो गई होगी ।
हरियाणवी लोक नृत्य के ठुमके देखकर कोई उदासी टिक नहीं सकती ।
रविवार, 29 अगस्त 2010
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