tag:blogger.com,1999:blog-2831825161318339546.post970682781869874423..comments2024-01-23T07:30:24.319+05:30Comments on चित्रकथा: दिल्ली दर्शन ---भाग ४,---- इंडिया गेटडॉ टी एस दरालhttp://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2831825161318339546.post-41967457242724409642012-02-05T15:10:34.206+05:302012-02-05T15:10:34.206+05:30वाह बहुत ही सुंदर चित्रों के साथ आपने बड़े ही शानद...वाह बहुत ही सुंदर चित्रों के साथ आपने बड़े ही शानदार ढंग से प्रस्तुत किया है!Ganpat Lalhttps://www.blogger.com/profile/05348260345654016048noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2831825161318339546.post-41858855166294398112012-02-05T15:07:36.280+05:302012-02-05T15:07:36.280+05:30वाह बहुत ही सुंदर चित्रों के साथ आपने बड़े ही शानद...वाह बहुत ही सुंदर चित्रों के साथ आपने बड़े ही शानदार ढंग से प्रस्तुत किया है!Ganpat Lalhttps://www.blogger.com/profile/05348260345654016048noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2831825161318339546.post-42034810347534107632009-11-14T18:23:26.600+05:302009-11-14T18:23:26.600+05:30बहुत बहुत धन्यवाद्! क्यूंकि मैं बचपन में, पिताजी क...बहुत बहुत धन्यवाद्! क्यूंकि मैं बचपन में, पिताजी के सरकारी कर्मचारी होने के कारण, इस इलाके (DIZ) में कई वर्ष रहा तो कहने की आवश्यकता नहीं है कि हम बच्चों के लिए यह सुंदर स्थान हमारा क्रीडास्थल था...<br /><br />पुरानी यादें ताजा हो गयीं...तब नहर के किनारे जामुन के पेड़ होते थे और मुफ्त में फल भी (चोरी-चोरी) खाने को मिलते थे, और अब डॉक्टर इसे खाने कि हिदायत देते हैं तो इसके ऊंचे दाम के कारण मुट्ठी खोलनी मुश्किल हो जाती है (क्यूंकि 'चोरी का फल मीठा होता है' :) और तब इतनी रंगीन नावें भी नहीं थीं...नैनीताल में जिसने नाव चला ली हो तो उसके लिए उस समय उपलब्ध नावों के चप्पू ही बहुत भारी लगते थे :) <br /><br />इसी स्थान पर हम बच्चों को एक ऐसा अवसर मिला जो आज संभव नहीं है: जब तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने हमें अपनी खुली गाड़ी में बैठे पहले नमस्कार किया! हम कुछ बच्चे तो राष्ट्रपति भवन से उनकी गाड़ी आती देख, बिना सिक्यूरिटी गार्ड आदि के, सड़क के किनारे खड़े हो गए थे और उन्हें नमस्कार करते देख उन्हें बाद में नमस्कार किये :)<br /><br />बाद में २६ जनवरी की परेड कई बार देखने को मिली - हर वर्ष बढती भीड़ और बढती सिक्यूरिटी के इंतजाम के कारण उत्पन्न रूकावट और इस कारण बाद में असुविधा के साथ...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2831825161318339546.post-36783720772734349482009-11-10T09:03:22.985+05:302009-11-10T09:03:22.985+05:30वाह बहुत ही सुंदर चित्रों के साथ आपने बड़े ही शानद...वाह बहुत ही सुंदर चित्रों के साथ आपने बड़े ही शानदार ढंग से प्रस्तुत किया है! दिल्ली कि बात ही कुछ और है! सही में इंडिया गेट में घूमना और बोटिंग करने में कुछ अलग ही मज़ा है!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2831825161318339546.post-75921014505540650312009-11-09T15:26:38.698+05:302009-11-09T15:26:38.698+05:30आपकी नज़रों से दिल्ली देखने का मजा ही कुछ और है......आपकी नज़रों से दिल्ली देखने का मजा ही कुछ और है...बहुत नयनाभिराम चित्र...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com